रविवार, 23 अप्रैल 2017

कश्मीर से आई आवाज छात्र एकता जिंदाबाद

इस साल का नारा होगा-गर्व से कहो हम छात्र हैं ।छात्रों के हकों पर जिस तरह हमले बढ़ रहे हैं,छात्र राजनीति के ऊपर अंकुश लगाने की साजिशें चल रही हैं उनसे छात्र अपने को अपमानित महसूस कर रहे हैं।यूजीसी से लेकर केन्द्र का मानव संसाधन मंत्रालय,राज्य सरकारों से लेकर शिक्षा माफिया तक सब ओर से छात्रों के हकों पर हमले हो रहे हैं।छात्रों के अपने हक हैं जिनकी लंबे समय से अनदेखी होती रही है।कश्मीर में आतंकी समस्या को हल करने में केन्द्र सरकार नाकाम रही है और उसके प्रतिवाद में विगत पांच दिनों से कश्मीर के छात्र हड़ताल पर हैं।कश्मीर में छात्रों का समूचा कैरियर और शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से ठप्प पड़ी है।दुख की बात यह है कश्मीरी छात्रों का भविष्य किसी को नजर नहीं आ रहा,उनकी समस्याएं किसी को दिखाई नहीं दे रहीं।
यही स्थिति जेएनयू की है ,जिन छात्रों ने जेएनयू से एमए किया और आगे एमफिल-पीएचडी करना चाहते थे, उनके भविष्य को रोकने के लिए जेएनयू वीसी ने वहां की तयशुदा दाखिला नीति को यूजीसी सर्कुलर की आड़ में खत्म कर दिया और एमफिल्-पीएचडी के दाखिले के लिए तय सीटों में इस तरह कटौती की कि एमफिल्-पीएचडी में तकरीबन सभी सीटें बलिदान हो गयीं।वहीं दूसरी ओर पंजाब वि वि ने ट्यूशन फीस में बेशुमार बढोतरी करके पढ़ना ही मुश्किल कर दिया है।वहां ट्यूशन फीस दस गुना बढा दी गयी है। यूपी में वि वि और कॉलेजों में छह महिनों के लिए पाबंदी लगा दी गयी है।मोदी सरकार आने के बाद यूजीसी के बजट में कटौती की गयी है, केन्द्रीय वि वि से कहा गया है 30 फीसदी संसाधन वे स्वयं जुगाड़ करें।केन्द्र सरकार की नौकरियों की भर्ती मोदी सरकार आने के साथ ही बंद कर दी गयी है।ये सारे हालात बता रहे हैं कि विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसर लगातार खराब होते जा रहे हैं।कश्मीर के छात्रों का विगत पांच दिनों से जिस तरह का आक्रोश सामने आया है वह कश्मीर के छात्र आंदोलन में हाल के वर्षों में नहीं देखा गया।

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