शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

फ्लाईओवर तबाही और राजनीतिक जबावदेही

        गिरीश पार्क-पोश्ता फ्लाईओवर के एक अंश का कल गिरना ममता सरकार के बारे में बहुत कुछ कहता है। इस फ्लाईओवर का गिरना प्राकृतिक आपदा या ईश्वरलीला नहीं है,बल्कि यह मनुष्यजनित तबाही का आदर्श नमूना है।कोई भी फ्लाईओवर अचानक नहीं गिरता,किसी एक क्षण में नहीं गिरता बल्कि उसके क्षय की प्रक्रिया लंबा समय लेती है,सवाल उठता है कि यह प्रक्रिया इंजीनियरों की नजर से ओझल कैसे रही ॽ उन्होंने समय रहते इसे पकड़ा क्यों नहीं ॽ यह फ्लाईओवर जिस तरह गिरा है उससे पता चलता है कि इंजीनियर इसके निर्माण कार्य के दौरान सजग नहीं थे। इस प्रसंग में महत्वपूर्ण है फ्लाईओवर का अचानक गिरना और व्यापक जनहानि।राजनीति में इसकी जबावदेही होनी चाहिए। यह कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का मामला भी है। ममता सरकार अपनी जबावदेही से इसमें बरी नहीं हो सकती।अभी तक समस्त विवरण सामने नहीं आए हैं,लेकिन प्रथमदृष्टया जो चीज नजर आ रही है कि इसके निर्माण में कहीं न कहीं गफलत हुई है,घोटाला हुआ है,निर्माण के नियमों का उल्लंघन हुआ है।यह घटना सामान्य रूटिन दुर्घटना नहीं है,बल्कि असामान्य घटना है,यह घटना बताती है कि ममता सरकार विकास के प्रति किस तरह केजुअल रवैय्या रखती है।साथ ही वह राजनीतिक दुरूपयोग करने से भी बाज नहीं आ रही।ममता बनर्जी ने कल जिस तरह का बयान दिया वह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।कायदे से इस घटना से जुड़े अफसरों,इंजीनियरों,मंत्री आदि के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होना चाहिए।साथ ही जो मंत्रालय इससे जुड़ा है उसके संबंधित अफसर और मंत्री को सीधे गिरफ्तार किया जाना चाहिए,साथ ही फ्लाईओवर बनाने वाली कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।इस घटना को घटे इतना समय हो गया लेकिन ममता सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।ममता सरकार जिस तरह अपराधियों और जिम्मेदार लोगों को बचाने में लगी है उससे लगता है ममता के मुख्यमंत्री रहते इस घटना से जुड़े अफसर कभी पकड़े नहीं जाएंगे। राजनीतिक तौर पर ममता सरकार इस तबाही के लिए सीधे जिम्मेदार है और उसे विधानसभा चुनाव में हराकर ही इस फ्लाईओवर तबाही के लिए जिम्मेदार लोगों को दण्डित कराना संभव होगा।



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