शनिवार, 3 जनवरी 2015

मदनमोहन मालवीय और अन्त्यज मुक्ति

   मदन मोहन मालवीय के नजरिए में हिन्दूधर्म और हिन्दुत्व के अनेक तत्व मिलते हैं जिनसे असहमति हो सकती है,लेकिन जो चीजें आज भी प्रासंगिक हैं उनकी ओर हमारी नजर रहनी चाहिए। मालवीयजी ने सनातन धर्म संबंधी विचारों को ''सनातन धर्म'' नामक साप्ताहिक पत्र में व्यापक अभिव्यक्ति मिली है। इस अखबार के एक संपादकीय में अन्त्यजोद्धार के सवाल पर मालवीयजी ने जो लिखा वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने लिखा ''इस बात के कहने की आवश्यकता नहीं कि हर एक विचारशील हिन्दू मानता है या मान लेगा कि अन्त्यजों का उद्धार करना हमारीहिन्दू जातिका धर्म है।दो कारणों से- एक यह कि वे हमारी परम आवश्यक और उपकारी सेवाकरते हैं,इसलिए उनका उपकार करना हमारा धर्म है,दूसरे यह कि वे हमारे सधर्मा हैं।वेहमारे हैं और हमारा सनातन धर्म हमको उन दीन भाइयों के उद्धार करने का उपदेश करता हैऔर उसका उत्तम और सरल मार्ग बतलाता है- वह भक्ति का मार्ग है।'' उस जमाने मेंमदनमोहन मालवीय ने काशी के हरिजनों को दशाश्वमेध घाट पर 'ऊँ नमःशिवाय'' मन्त्र कीदीक्षा देकर अपने अछूतोद्धार संबंधी भावों को प्रकट किया था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...