सोमवार, 30 जून 2014

कोलकाता की बंद गलियां और वोट का खेल

       

मुझे याद आ रहा है टॉलीगंज का वह चुनाव जब मैं आशीष दा के लिए चुनाव प्रचार के लिए नुक्कड़ सभाएं कर रहा था। रोज शाम होते ही इस विधानसभा क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं करने निकल पड़ता था। सभाओं को कहां करना है इसका पूरा कार्यक्रम माकपा के राज्य ऑफिस से तैयार होकर मिलता था और पार्टी की स्थानीय शाखाओं को पता रहता था। उस चुनाव से कुछ समय पूर्व तृणमूल कांग्रेस का जन्म हुआ था। आशीष दा के खिलाफ टीएमसी का राज्य अध्यक्ष चुनाव लड़ रहा था। आशीष दा माकपा के श्रेष्ठतम शिक्षकनेता थे, कलकत्ता वि वि में कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर थे,वे हमारी पार्टी ब्रांच के सचिव भी थे। इसलिए उनके लिए ज्यादा काम करने पर जोर था। खैर, एक वाकया बेहद पीड़ादायक घटा।

एकदिन मैं टालीगंज इलाके में एक गली में चुनाव सभा के लिए गया। मेरे साथ एक लोकल कॉमरेड था और रिक्शे पर लाउडस्पीकर कसा हुआ था। स्थानीय कॉमरेड मुझे घुमाते हुए एक बंद गली में ले गया और एक ऐसी जगह खड़ा कर दिया जहां गली बंद हो जाती थी, मैंने कहा यहां तो कोई नहीं है और गली बंद है, कोई सुननेवाला नहीं है, वह बोला यहीं मीटिंग करनी है, शाम के सात-साढ़े सात बजे होंगे। मैंने उस कॉमरेड को काफी समझाने की कोशिश की कि यहां कोई सुनने वाला नहीं है ,तुम क्यों बोलने के लिए जोर डाल रहे हो, वह बोला आप भाषण दीजिए लोग घरों में बैठे हुए सुनेंगे। लाउडस्पीकर की आवाज दूर दूर तक जाएगी। मैंने बंद गली में बिना श्रोताओं के अपना भाषण दिया,वहां उस कॉमरेड और रिक्शाचालक के अलावा और कोई नहीं था।

मैं भाषण देकर स्थानीय पार्टी ऑफिस चला आया ,वहां पर बैठे लोकल सचिव से मेरे साथ गए कॉमरेड ने कहा कि मीटिंग बहुत अच्छी हो गयी है,और इन्होंने बढ़िया भाषण दिया। मैंने कहा कि वहां तो कोई सुनने वाला नहीं था, घर अंदर से बंद थे, जो लोग आ रहे थे वे रुक नहीं रहे थे,सीधे घरों में जा रहे थे और दरवाजे बंद कर ले रहे थे,यह मीटिंग नहीं है,बल्कि बकबास है, लोकल सचिव ने कहा आप नहीं जानते इस इलाके में ऐसे ही मीटिंग होती है मैंने पूछा क्यों तो बोला यह वेश्याओं की गली है यहां सब पेशेवर वेश्याएं रहती हैं और धंधा करती हैं। जो लोग आ जा रहे थे वे उनके ग्राहक थे। मैंने कहा आपलोग इसे रोकते क्यों नहीं ? इस पर वह ऊटपटांग तर्क देने लगा,मैं उससे सहमत नहीं हो पाया, अंत में मैंने राज्य पार्टी ऑफिस आकर का. अनिल विश्वास को सारा किस्सा बताया कि मुझे इस तरह के इलाकों में न भेजें, वे बोले क्या करें पार्टी को उन लोगों में वोट के लिए जाना होता है। मैंने कहा मैं ऐसे इलाकों में नहीं जा पाऊँगा।इस पर बोले लोकतंत्र में सबसे वोट चाहिए। हम वेश्यावृत्ति रोक नहीं सकते। लेकिन वोट तो मांग सकते हैं।



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