रविवार, 9 दिसंबर 2012

ज्ञानक्रांति का फैसला कब लेंगी ममता


सपने देखना अच्छी बात है। सपनों में आनंद लेना भी अच्छी बात है लेकिन सपनों को साकार करना उससे भी अच्छी बात है। जो राजनेता सपने देखता है और सपने साकार करता है वह विज़नरी कहलाता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यदि पश्चिम बंगाल का सही अर्थ में आइकॉन बनना है तो राजनेता की बजाय विज़नरी बनना होगा। कथनी और करनी के भेद को खत्म करना होगा। भाषण कम और काम ज्यादा। जलसे कम और एक्शन ज्यादा की कर्मसंस्कृति पैदा करनी होगी। राज्य में पूंजीनिवेश भाषणों से नहीं होता। कोई भी उद्योगपति भाषणों से प्रभावित होकर राज्य में पूंजी निवेश नहीं करता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उनके हाथ से राज्य का यथार्थ खिसकता चला जा रहा है। वे जब से मुख्यमंत्री बनी हैं उनकी आमलोगों से दूरी बढ़ी है ,राज्य की समस्याओं से भी अलगाव बढ़ा है। वे अपने दल के कॉकस और नौकरशाही के घेरे में कैद हैं। कॉकस और नौकरशाही उनको खुलेमन से न तो सोचने देती है और नहीं अपने ही लोगों पर विश्वास करने देती है। जनता और यथार्थ से अलगाव के कारण व्यापक पैमाने पर मुख्यमंत्री के मन में संदेह और अविश्वास बढ़ा है। संदेह और अविश्वास के कारण इनदिनों वे जो भी बोल रही हैं उसमें साफतौर पर फांक नजर आती है। इस फांक के दर्शन इसबार आईआईटी2012 के ग्लोबल सम्मेलन में उनके द्वारा दिए गए भाषण में भी साफ नजर आई। 

एकजमाना था ममता सबको अपील करती थी, लेकिन विगत शुक्रवार को वे जब साइंस सिटी में बोल रही थीं तो वे किसी को प्रभावित नहीं कर पा रही थीं। जानकारों की राय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाषण किसी भी दृष्टि से अपील नहीं कर पा रहा था। मुख्यमंत्री के राजनीतिक स्वप्न और आईआईटी के युवाओं के सपनों में कोई मेल नहीं दिख रहा था। इस मौके पर एक आईआईटी स्नातक ने कहा कि ममताजी के शासन में आने के बाद हमें इस राज्य में आईटी का कोई भविष्य ही नजर नहीं आ रहा। मैंने ऐसे ही पूछा कि उन्हें मुख्यमंत्री की अपील पर भरोसा क्यों नहीं है ? उसने कहा कि आईटी क्षेत्र कोई कुटीर उद्योग नहीं है कि कम पूंजी से आरंभ किया जाय। राज्य सरकार के पास कोई विज़न नहीं है।ममता नहीं जानती कि राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी किस तरह आए और किस तरह युवाओं को रोजगार मिले। इस युवा आईआईटी स्नातक ने कहा कि अनेक आईटी कंपनियां अपना कारोबार फिलहाल पश्चिम बंगाल में न करने का फैसला ले चुकी हैं और कई कंपनियों ने अपने कारोबार को धीरे धीरे हैदराबाद एवं बंगलौर के केन्द्रों में शिफ्ट कर दिया है। सेक्टर पांच में इन दिनों कोई नई कंपनी आने को तैयार नहीं है। विगत डेढ़ साल में एक भी नई आईटी कंपनी ने अपना काम कोलकाता में आरंभ नहीं किया है।

एक अन्य स्नातक ने गुस्से में कहा कि मुख्यमंत्री को आईटी क्षेत्र को इस राज्य में लाना है तो पहले माफिया और फिरौतीबाजों को नियंत्रित करना होगा। सॉल्टलेक के सेक्टर पांच में भाड़े की दर में आई जबर्दस्त गिरावट बताती है कि राज्य की अर्थव्यवस्था एकदम चरमरा गयी है।

ममता सरकार के आने के पहले सेक्टर पांच में 65-80 रूपये प्रति वर्गफुट भाड़ा था आज यह भाड़ा गिरकर 25-30 रूपये प्रति वर्गफुट हो गया है। बड़ी बड़ी बिल्डिगें खाली पड़ी हैं उनमें कोई भी व्यक्ति नजर नहीं आता। भारत के महानगरों में इस तरह का सुनसान माहौल कहीं पर भी नजर नहीं आएगा जैसा सेक्टर पांच में बन रहा है। नई कंपनियों का न आना और पुरानी कंपनियों का अपने कारोबार का विस्तार न करना,इस बात का संदेश है कि कहीं न कहीं मंदी और राज्य प्रशासन की नौकरशाही के कारण आईटी क्षेत्र के उद्यमी हतोत्साहित हुए हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब आईआईटी ग्लोबल सम्मेलन 2012 को सम्बोधित कर रही थीं तो युवा उद्यमी राज्य सरकार की ओर से किसी नई सुविधाओं की घोषणाओं की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन इसबार मुख्यमंत्री ने नए उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए कोई नया पैकेज घोषित नहीं किया। इस सम्मेलन में 600 आईआईटी स्नातक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में भाग ले रहे दिल्ली से आए यशवंत सिंहा ने कहा कि ममताजी को यदि राज्य में सूचना तकनीक को जनप्रिय बनाना है तो उनको सीधे स्कूल,कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर कम्प्यूटर के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। विश्वविद्यालय शिक्षा का आधुनिकीकरण करना चाहिए,शिक्षकों और छात्रों को लैपटॉप-आईपैड आदि मुहैय्या कराने चाहिए। सूचना तकनीक के प्रति अपील पैदा करने लिए उसे दैनंदिन अकादमिक कामकाज और कम्युनिकेशन का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है और यह भी जरूरी है कि उच्चशिक्षा को परंपरागत शिक्षण-प्रशिक्षण की पद्धति के बाहर लाया जाय। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाय और शिक्षा के आधुनिकीकरण को प्रमुख एजेण्डा बनाया जाय। मुख्यमंत्री यदि चाहती हैं कि पश्चिम बंगाल फिर से भारत के मानचित्र पर उभर कर सबसे ऊपर आए इसके लिए पहली जरूरत है राज्य की समूची शिक्षा व्यवस्था का उच्च कम्युनिकेशन तकनीक के साथ एकीकृत करके आधुनिकीकरण किया जाय। उच्चमाध्यमिक से लेकर एमए-पीएचडी करने वालों तक राज्य सरकार मुफ्त लैपटॉप बांटे और शिक्षकों को मुफ्त इंटरनेट कनेक्शन दिए जाएं। एक अन्य आईआईटी स्नातक ने कहा कि पश्चिम बंगाल में यदि बिजली की सप्लाई सही है और बिजली कभी नहीं जाती है तो परंपरागत विश्वविद्यालयों को सूचना तकनीक के उपयोग बड़ा क्षेत्र बना देना चाहिए। अकादमिक जगत में आधुनिकशिक्षा को लाने में 19वीं सदी में बंगाल अग्रणी था ,लेकिन नए आधुनिक माहौल में पश्चिम बंगाल की समूची शिक्षा व्यवस्था को समुन्नत संचार तकनीक से जोड़कर ज्ञानक्रांति के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाना चाहिए। हैदराबाद से आए पी.राजू का कहना था कि इंटरनेट कनेक्शन को केन्द्र सरकार को नाममात्र के शुल्क के आधार पर मुहैय्या कराना चाहिए। इससे इंटरनेट-कम्प्यूटर आदि के उपयोग में तेजी से इजाफा होगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...