मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

कम्प्यूटर क्रांति का महान विज़नरी वन्नेबर बुश -3-

         अमेरिकी सैन्य अनुसंधान की स्थायी संरचना के निर्माण के पक्ष में बुश ने 1945 में '' साइंस-दि एण्डलेस फ्रंटियर' शीर्षक लेख लिखा। इस लेख में उसने लिखा कि 'नेशनल रिसर्च फाउण्डेशन'नाम से एक संगठन विज्ञान के अनुसंधान के लिए बनाया जाए। यह विज्ञान के क्षेत्र में स्थायी और दीर्घकालिक नीति बनाकर कार्य करे। साथ ही राष्ट्रीय नीतियां भी बनाए।इस सुझाव को ध्यान में रखकर 1950 में ' नेशनल साइंस फाउण्डेशन' का गठन किया गया।किंतु यह संगठन बुश की आकांक्षाओं को साकार करने में असफल रहा। किंतु विज्ञान ,सरकार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एक ही बंधन में बांधने में सफल रहा।
युद्धोत्तर दौर में बुश ने नई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सन् 1945 में 'एज वी मे थिंक'शीर्षक लेख को संशोधित करके एक लेख लिखा।इसमें उन्होंने विज्ञान के उन अनछुए पक्षों का उद्धाटन किया जो पहले कभी नहीं उठाए गए थे।यह क्षेत्र स्वचालितीकरण या मानवीय विचारों के स्वत:संचालन से जुड़ा था।इसी में थ्योरिटिकल मशीन को 'मिमिक्स' कहा।इसमें जिन पदबंधों का उसने निर्माण किया।कालान्तर में वे ही कम्प्यूटर के हाइपर टेक्स्ट और आंतरिक संरचना में समाहित किए गए।
   'मिमिक्स' में सामग्री संचय,स्मृति, की बोर्ड,चयन की बटन,लीवर्स, माइक्रोफिल्म, एसोसिएषन आदि की खोज की गई।साथ ही इस समूचे तकनीकी तामझाम को मानव मस्तिश्क की क्षमता और संबंधों से जोड़ा गया।
बुश के दृष्टिकोण का यह अन्तर्विरोध था कि वह सारी जिन्दगी केन्द्रीय सत्ता और केन्द्रीकरण को अस्वीकार करता रहा किंतु सेना,शिक्षा,विज्ञान, और उद्योग जगत के बीच जो उसने गठबंधन तैयार किया वह पूरी तरह केन्द्रीकरण और सत्ता के केन्द्रीकरण,ज्ञान के केन्द्रीकरण,वर्चस्व की हिमायत,जनतंत्र के विरोध पर टिका हुआ है।
     मजेदार बात यह है कि बुश किसी भी केन्द्रीय सत्ता केन्द्र की धारणा के खिलाफ था।किंतु अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सत्ता के शिखर पर बैठे मुखिया यानी अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट के साथ अपने संबंध बनाने,उनका दुरूपयोग करने में उसे कभी हिचक नहीं हुई। उसने अपने संबंधों के कारण फेडरल सरकारों को विज्ञान के विकास के लिए खूब धन मुहैय्या कराया। यह धन अमेरिका की जनतंत्रप्रेमी जनता का था।
       बुश को जनतंत्र से नफरत थी।उसके कामकाज में कोई पारदर्शिता नहीं थी। वह मानता था कि पापुलिज्म और जनता इन दोनों  की सरकारी मशीनरी में हिस्सेदारी सरकार को कमजोर बनाती है।बुश की 'अति-शिक्षित समझदार लोगों की शासन व्यवस्था में आस्था थी। व्यक्तिवाद में आस्था थी। साथ ही उसे बड़ी पूंजी की इजारेदारियों से नफरत थी। किंतु सारी जिन्दगी उन्हीं की सेवा में लगा रहा।
     उसे अमेरिका में विज्ञान,सेना,शिक्षा,और उद्योग के अन्तस्संबंध का हिमायती माना जाता था। यह 'रथिसोन' का सहसंस्थापक था।यह अमेरिका की सबसे बड़ी सुरक्षा ठेकेदारी की कंपनी थी। बुश इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का प्रोफेसर था। एमआईटी का प्रशासक था।उसी के प्रयासों से इस संस्थान को सबसे ज्यादा सरकारी धन मिलता था।यह संस्थान अमेरिकी ज्ञान का केन्द्र है।वह कारनेगी इन्स्टीट्यूट का भी वर्षों अध्यक्ष रहा।उसी के कार्यकाल में इस संस्थान को भी बेशुमार सरकारी मदद मिली।
    बुश को तकनीकी युग का बादशाह माना जाता है।वह अपनी क्षमता के कारण अमेरिकी प्रशासन से सबसे ज्यादा पैसा दिलानेवाला वैज्ञानिक था।वह परमाणु बम बनाने वाली अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम का प्रमुख था।उसे परमाणु बम के बनाने पर कोई शर्म नहीं थी।
    जवेरी ने लिखा है कि ''उसे अपनी इस उपलब्धि पर कोई शर्म नहीं थी।बल्कि उसने विज्ञान एवं राज्य,खोज और विध्वंस के बीच शादी रचाई।'' जचेरी की लिखी बुश की जीवनी को पढ़कर यह तथ्य साफ हो जाता है कि कैसे अमेरिकी सरकार के पैसे से कम्प्यूटर उद्योग का जन्म हुआ।
      किस तरह सैन्य सुरक्षा अनुसंधान के नाम पर पैसा मुहैय्या कराया गया।किस तरह कारनेगी और रॉकफेलर फाउण्डेशन जैसे संस्थानों ने इसमें पूंजी निवेश किया। वन्नेवर बुश को इस बात श्रेय जाता है कि उसने शिक्षा संस्थानों को विज्ञान उद्योग के केन्द्रों के रूप में विकसित किया।वे 'वैज्ञानिक समुच्चयों' के रूप में काम करते थे।
    इन संस्थानों और इनसे निकले वैज्ञानिकों के पास अधिकांश चीजों के पेटेण्ट हैं।अमेरिका की विज्ञान नीति स्वत:स्फूर्त्त वैज्ञानिक विकास के पूंजीवादी सिद्धान्त पर टिकी है।यही अमेरिकी वैज्ञानिक संस्थानों की धुरी है।इन संस्थानों की विशेषता है कि ये किसी एक क्षेत्र में प्रथम श्रेणी के ऐसे विश्वविद्यालयों अथवा कॉलेजों के अस्तित्व पर आधारित होते हैं,जिनमें अनुसंधान की नयी संभावनापूर्ण शाखाओं ,उपशाखाओं में प्रशिक्षित अतिदक्ष एवं कार्यशील विशेषज्ञों को आकर्षित करने की क्षमता हो।साथ ही इनके पास पर्याप्त मात्रा में धन हो।अमेरिका के अच्छे विद्यालयों के समस्त कार्यव्यापार बड़े उद्योगों के धन पर टिके हैं।स्वत:स्फूर्त्त वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों का आदर्श प्रतीक है मैसाचुसेट्स प्रविधि संस्थान इसके शिक्षकों तथा स्नातकों ने 75 से अधिक रेडियो इलैक्ट्रॉनिक तथा अन्य उपकरणों की कंपनियों की स्थापना की। असल में बुश ने शिक्षा संस्थानों को 'अन्वेषणों का उद्योग' बना दिया।इनके नीचे बड़े पैमाने पर प्रयोगशालाएं,इंजीनियरिंग सलाहकार,वैज्ञानिक आदि काम करते रहते हैं।'अन्वेषण उद्योग' में इजारेदारियां सह-अस्तित्व बनाए रखती है।यह क्षेत्र पूंजी के केन्द्रीकरण,पेटेंटलाइसेंससंचित वैज्ञानिक एवं तकनीकी सूचना के अन्य रूपों में भी केन्द्रीकरण को बनाए रखता है।


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