मंगलवार, 17 नवंबर 2009

गूगल हारा लेखक-पाठक जीते

                      

     गूगल का सारी दुनि‍या की कि‍ताबों का मालि‍काना हक प्राप्‍त करने का सपना फि‍लहाल चूर चूर हो गया है। गूगल ,अमरीकी प्रकाशकों और लेखकों के संघ की मूल योजना थी कि‍ सारी दुनि‍या की कि‍ताबों का स्‍वामि‍त्‍व हासि‍ल कर लि‍या जाए। यह योजना अंतत: कि‍सी ने नहीं मानी और अंत में हारकर गूगल को वे सभी आपत्‍ति‍यां माननी पड़ी हैं, वे सभी संशोघन भी मानने पड़े हैं, जो इस समझौते के वि‍रोधि‍यों ने अदालत में दायर कि‍ए थे।
संक्षेप में , 13 नबम्‍वर 2009 को दक्षि‍णी न्‍यूयार्क की जि‍ला अदालत में स्‍वीकृत समझौते के अनुसार गूगल अब यह समझौता सि‍र्फ अंग्रेजीभाषी देशों अमेरि‍का,ब्रि‍टेन,कनाड़ा और आस्‍ट्रेलि‍या में ही लागू कर पाएगा। गूगल ने आरंभ में अमेरि‍की प्रकाशकों और लेखकों के गि‍ल्‍ड के साथ सारी दुनि‍या की कि‍ताबों के डि‍जि‍टलाईजेशन का एक समझौता तैयार कि‍या था, जि‍से कि‍ताबों के संरक्षक स्‍वतंत्र संगठनों के अलावा पुस्‍तकालयों,पुस्‍तकालयाध्‍यक्षों के संगठनों, अमेरि‍की न्‍याय वि‍भाग,इजारेदार वि‍रोधी वि‍भाग,फ्रांस,जर्मनी आदि‍ देशों ने भी अदालत में चुनौती दी थी।                   
पहले वाला समझौता प्रकाशि‍त,अप्रकाशि‍त, अनाथ सभी कि‍स्‍म की कि‍ताबों पर लागू होता था। नया समझौता सि‍र्फ आउट ऑफ प्रिंट कि‍ताबों पर और वह भी उपरोक्‍त चार देशों में ही लागू होगा। इसकी भी समय सीमा तय कर दी गयी है।  यह समझौता उन्‍हीं कि‍ताबों पर लागू होगा जो अमेरि‍की कॉपीराइट कानून के तहत रजि‍स्‍टर्ड हैं। पहले यह गैर रजि‍स्‍टर्ड कि‍ताबों पर भी लागू करने का प्रस्‍ताव था। उपरोक्‍त चार देशों को इसलि‍ए चुना गया क्‍योंकि‍ इनके कॉपीराइट कानून एक जैसे हैं,एक ही जैसा प्रकाशन इति‍हास ,साझा परंपरा और नि‍यम हैं।
     प्रस्‍तावि‍त नए समझौते के अनुसार इन चारों देशों के लेखकों एवं प्रकाशकों का 'बुक राइट रजि‍स्‍ट्री' संगठन में प्रति‍नि‍धि‍त्‍व होगा। यह गैर मुनाफे पर आधारि‍त संगठन होगा। यह संगठन ही लेखक और प्रकाशक को डि‍जि‍टल कि‍ताब की रॉयल्‍टी के भुगतान के लि‍ए जि‍म्‍मेदार होगा। इस संगठन का काम होगा  इन चारों देशों में कि‍ताबों के मालि‍कों की खोज करना,खासकर ऐसी कि‍ताबों के मालि‍कों की खोज करना,जो कि‍ताबें तो हैं, कॉपीराइट एक्‍ट के दायरे में भी आती हैं लेकि‍न उसके अधि‍कार और रॉयल्‍टी का कोई दावेदार नहीं है, ऐसी अनाथ कि‍ताब को यदि‍ गूगल डि‍जि‍टल रूप में प्रकाशि‍त करता है तो उसके रॉयल्‍टी के मालि‍क को खोजने का काम यह संगठन करेगा।
समझौते के अनुसार पाठकों को कि‍ताब के प्रि‍-व्‍यू देखने, कि‍ताब खरीदने का अधि‍कार होगा। डि‍जि‍टल कि‍ताबों के लि‍ए संस्‍थान शुल्‍क देकर सदस्‍यता ले सकेंगे। वि‍भि‍न्‍न पुस्‍तकालयों को नि‍र्धारि‍त टर्मिनल के जरि‍ए मुफत में डि‍जि‍टल लाइब्रेरी इस्‍तेमाल करने का अधि‍कार होगा। संशोघि‍त समझौते के अनुसार गूगल के समूचे व्‍यापार के पैर बांधने की कोशि‍श की गई है। नए समझौते के अनुसार गूगल का डि‍जि‍टल कि‍ताब व्‍यापार व्‍यक्‍ति‍गत तौर पर खरीदी गयी कि‍ताब की सदस्‍यता तक सीमि‍त कर दि‍या गया है। यह कि‍ताब भी गूगल तब डि‍जि‍टलाइज कर पाएगा जब वह 'बुक राइटस रजि‍स्‍ट्री' संस्‍था से अनुम‍ति‍ ले लेगा। यह संस्‍था कि‍सी भी लेखक की कि‍ताब को गुगल को सौंपने के पहले लेखक से अनुमति‍ लेगी उसके बाद ही गूगल को डि‍जि‍टल प्रकाशन की अनुमति‍ मि‍लेगी। अब कॉपीराइट मालि‍क के पास यह अधि‍कार होगा कि‍ वह पाठक को अपनी कि‍ताब डि‍जि‍टल रूप में मुफ्त पढ़ने के लि‍ए देना चाहता है अथवा पैसे लेकर देना चाहता है।
     गूगल को जब 'बुक राइटस रजि‍स्‍ट्री' संगठन से  अलुमति‍ मि‍ल जाएगी तो गूगल सभी संबंधि‍त कॉपीराइट मालि‍कों आदि‍ को नोटि‍स देकर सूचना देगा कि‍ अब वह संबंधि‍त कि‍ताब का डि‍जि‍टल रूप में प्रकाशन करने जा रहा है। इसमें उसे यह भी बताना होगा कि‍ संबंधि‍त कि‍ताब कब तक नेट पर उपलब्‍ध रहेगी,कि‍तने पेज मुफत में मि‍लेंगे। अथवा कि‍तने पन्‍ने यूजर प्रिंट कर पाएगा। कि‍सी भी प्रकाशक को ऑनलाइन पर उपलब्‍ध आउट ऑफ प्रिंट कि‍ताब को ही प्रकाशि‍त करने का अधि‍कार होगा। इसके अलावा जि‍न कि‍ताबों के कॉपीराइट का कोई दावेदार नहीं है उन्‍हें भी प्रकाशि‍त करने का हक होगा। अभी कॉपीराइट मालि‍क को 63 प्रति‍शत लाभ दि‍या जाता है बाकी 37 प्रति‍शत प्रकाशक -वि‍तरक को मि‍लता है। अनाथ कि‍ताबों के डि‍जि‍टल प्रकाशन से होने वाली आय का एक अंश कि‍ताब के रॉयल्‍टी दावेदार को खोजने पर खर्च कि‍या जाएगा। पांच साल के बाद यह पैसा इस्‍तेमाल नहीं कि‍या जाएगा। दस साल बाद 'बुक राइटस रजि‍स्‍ट्री' संस्‍था अदालत से यह अनुरोध करेगी कि‍ रॉयल्‍टी के पैसे का गैर मुनाफे वाले पक्षों में कि‍स तरह बंटवारा कर दि‍या जाए। अब 'बुक राइटस रजि‍स्‍ट्री' के पास रॉयल्‍टी का बि‍ना दावे वाला पैसा दस साल तक रहेगा। पहले पांच साल तक का ही प्रावधान था। यह फंड अंग्रेजीभाषी देशों के गैर मुनाफा वाले संगठनों में बांटा  जाएगा। नए समझौते के अनुसार डि‍जि‍टलाइज कि‍ताब का दाम 60- 300 डालर के बीच हो सकता है। क्‍या दाम होगा यह लेखक और प्रकाशक के अलावा कि‍सी अन्‍य को पहले नहीं बताया जाएगा। इस समझौते के बाहर के देशों के लेखक भी गूगल के साथ व्‍यक्‍ति‍गत समझौते कर सकते हैं। ये समझौते गूगल पार्टनर समझौते के तहत कि‍ए जा सकते हैं। नए समझौते के अनुसार गूगल ऐसी कोई भी सामग्री नहीं दि‍खाएगा जो अभी बाजार में प्रकाशि‍त होकर आई है और प्रचलन में है।
गूगल के इस समझौते के बारे में अंति‍म सुनवाई सन् 2010 के फरवरी में होने की संभावना है। उस समय तक प्रस्‍तावि‍त समझौते से मुतल्‍लि‍क कोई भी आपत्‍ति‍ कोर्ट सुनेगा। 'गूगल बुक्स इंजीनि‍यरिंग' नि‍देशक  ने नए समझौते पर अप्रसन्‍नता का इजहार कि‍या है। उल्‍लेखनीय है पहले वाले समझौते में गूगल ने सारी दुनि‍या की अनाथ कि‍ताबों और आउट ऑफ प्रिंट कि‍ताबों को स्‍केन करके ऑन लाइन उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था की थी,लेकि‍न अदालत ने इस समझौते के बारे में अमेरि‍की न्‍याय वि‍भाग, पुस्‍तक संरक्षक संगठनों, फ्रांस,जर्मनी आदि‍ देशों के वकीलों की आपत्‍ति‍यों को सुनने के बाद उन लोगों के अधि‍कांश सुझावों को समझौते में शामि‍ल करके गूगल के कि‍बावी इजारेदारी के सपने को चकनाचूर कर दि‍या है। अब कोई भी डि‍जि‍टल कि‍ताब अनंत काल तक गूगल की संपत्‍ति‍ नहीं रह पाएगी, जबकि‍ पहले वाले समझौते में ऐसी ही व्‍यवस्‍था थी।
नए समझौते का उज्‍ज्‍वल पक्ष यह है कि‍ अब ऑन लाइन डि‍जि‍टल लाइब्रेरी के जरि‍ए लाखों दुर्लभ कि‍ताबें सारी दुनि‍या के पाठकों को सुलभ हो पाएंगी। जज ने अपना 370 पेज का नि‍र्णय 14 नबम्‍वर 2009 को अदालत में प्रकाशि‍त कि‍या । इस नि‍र्णय के अनुसार गूगल को सीमि‍त देशों में ही डि‍जि‍टल कि‍ताब के प्रकाशन का सीमि‍त अवधि‍ के लि‍ए अधि‍कार होगा। अमेरि‍की जि‍ला जज डेनी चेनी संभवत: 2010 की फरवरी में अंति‍म तौर पर यह फैसला देंगे कि‍ इस समझौते को स्‍वीकार कि‍या जाए या नहीं।
गूगल को दूसरी ओर एक और करारा झटका न्‍यूज कारपोरेशन के मालि‍क रूपक मडरॉक ने दि‍या है। उन्‍होंने कहा है कि‍ गूगल उनकी वेबसाइट की सामग्री का दुरूपयोग कर रहा है अत: वे अपनी सारी वेबसाइट गूगल सर्च ईंजन से हटाने जा रहे हैं। उल्‍लेखनीय है कि‍ रूपक मडरॉक का सबसे बड़ा मीडि‍या साम्राज्‍य है।


3 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उपयोगी आलेख । विस्तार से समझाया है आपने ।
    "नए समझौते के अनुसार गूगल ऐसी कोई भी सामग्री नहीं दि‍खाएगा जो अभी बाजार में प्रकाशि‍त होकर आई है और प्रचलन में है। " - ऐसा क्यों ?

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  2. बढ़िया जानकारीपूर्ण आलेख..काफी जानने को मिला!!

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