सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

चीनी मीडिया में कम्युनिस्ट युग की विदाई

       अब चीन में प्रकाशन वैसा नहीं रह गया है जैसा माओ के जमाने में था, अथवा जैसा इंटरनेट के आने के पहले था। चीन के प्रमुख प्रकाशक ची यिंग ''जिम्मी '' ली ( हांगकांग नेक्स्ट मीडिया के अध्यक्ष,जनप्रिय चीनी दैनिक एपिल के प्रकाशक,सोशल ब्रेन फाउण्डेशन और सीएन ब्लॉग के सहसंस्थापक ) ने कहा कि आज चीन में प्रकाशन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह पुराने तरीके से कहानी कहने और संप्रेषण की आदत से कितनी जल्दी मुक्ति पाता है। संचार आज ''सेंशनल'' हो गया है। ''सेंशनल'' का अर्थ है स्टोरी को मानवीय शर्तों पर कहना। यह कम्युनिस्ट युग की कहानी कहने,संप्रेषित करने की कला की विदाई की घोषणा है।
    ली कहता है अखबार संवेदनात्मक और भावुक माल है। यह खबर नहीं है। बल्कि इसके पीछे भावनाएं होती हैं। जिनसे खबर बनती है। बिना भावनाओं के पत्रकारिता चाहे वह चीन हो अथवा अन्यत्र कोई देश हो डूब जाएगी अथवा अप्रासंगिक हो जाएगी। मीडिया तो जीवन के बारे में बताता है। जीवन में नाटक हैं। दर्द है,भय है,खुशी है। इन सब चीजों को मीडिया अभिव्यक्त करता है। लोगों को मीडिया की जरूरत इसलिए नहीं होती कि वे खबर चाहते हैं बल्कि वे साझा भावनाएं चाहते हैं। उन्हें शेयर करते हैं। चीन में सबसे बड़ा नाटक तो ओलम्पिक खेलों का आयोजन है।
    चीन की मुश्किल यह है कि वह ओलम्पिक के बारे में कोई आलोचना स्वीकार करने को तैयार नहीं होगा। क्योंकि आलोचना को स्वीकार करना कम्युनिस्ट मानसिकता में नहीं आता। अभी चीन में जो व्यक्ति ओलम्पिक की आलोचना करता है उसे प्रताड़ित किया जाता है। एक बात और है कि चीन प्रशासन चाहे या न चाहे खबरें सिर्फ खेल और आनंद की चरम अभिव्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहेंगी। बड़े पैमाने पर पत्रकार जब चीन आएंगे तो वे खेल ही नहीं देखेगें। बल्कि आतंकवाद,नशीले पदार्थों का खिलाड़ियों में सेवन,प्रदूषण, भ्रष्टाचार,वेश्यावृत्ति, जनसंख्या विस्फोट,राजनीति,मानवाधिकार,ताइवान,तिब्बत आदि सभी चीजों को देखेंगे और लिखेंगे। ये सारी चीजें जब मीडिया के केन्द्र में आएंगी तो मीडिया में लोकतंत्र के प्रवाह को नियंत्रित करना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए मुश्किल होगा।
    ली का कहना है कि सीमित समय के लिए ही सही किंतु मीडिया की आजादी का नया अनुभव संवाददाताओं को होगा,यह सही है कि कम्युनिस्ट पार्टी बहुत जल्दी अपना नियंत्रण कम नहीं करेगी। किंतु उसके नियंत्रण में गिरावट आएगी। चीन में मीडिया सुधारों का मूलाधार बनेंगे इंटरनेट ब्लॉग। ब्लॉग के जरिए अभिव्यक्त होने वाली संस्कृति बड़ी व्यापक प्रभाव पैदा करेगी। आज चीन में लोग ब्लॉग के जरिए ही सूचनाएं ले रहे हैं, संवाद कर रहे हैं और एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
    ब्लॉग का संप्रेषण व्यक्तिगत संप्रेषण से ज्यादा व्यापक होता है। नबम्वर 2007 में एक सरकारी सर्वे के आंकडों के अनुसार चीन में कुल ब्लॉग 72.82 मिलियन थी। जबकि ब्लॉग लेखकों की संख्या 47 मिलियन थी। इसका अर्थ है प्रति तीस चीनी नागरिकों में एक नागरिक ब्लॉग लेखक है। अथवा नेटजिन के चार में से एक व्यक्ति ब्लॉग लेखक है। समग्र ब्लॉग लेखकों में 36 फीसदी सक्रिय ब्लॉग लेखक हैं। यानी तकरीबन 17 मिलियन लोग नियमित रूप से ब्लॉग में लिखते हैं। सन् 2006 में चीन के 17.5 मिलियन ब्लॉग लेखक थे जो मात्र एक साल में बढ़कर 30 मिलियन होगए।
     सर्वे के अनुसार भविष्य में ब्लॉग की विकासदर में कमी आएगी। सर्वे में पता चला है कि ब्लॉग लेखक जीवन से जुड़े सभी सवालों पर लिख रहे हैं। व्यक्तिगत जीवन से लेकर राजनीति,संस्कृति, सेना, अर्थनीति,पर्यटन आदि विषयों पर जमकर लिखा जा रहा है। ब्लॉग असल में सूचना हासिल करने का महत्वपूर्ण जरिया है। ब्लॉग लेखकों में 43 फीसद मर्द और 57 फीसद औरतें हैं। नेटजिन में भी औरतें ज्यादा लिख रही हैं। 
    ब्लॉग की सामग्री के सर्वे से पता चला है कि 47 फीसद सामग्री में निजी व्यक्तिगत भावों को अभिव्यक्त किया गया । दूसरी कोटि में दैनन्दिन जीवन का आख्यान ,व्यक्तिगत अभिरूचियां को रखा जा सकता है।  ज्यादातर ब्लॉग में व्यक्तिगत अवस्था और निजी दैनन्दिन जीवन के आचार-व्यवहार का वर्णन मिलता है। सर्वे में बताया गया है कि ऑनलाइन खबर में 63 फीसद का विश्वास है जबकि 20 फीसदी ने कहा कि  उन्हें ब्लॉग में दी गयी सूचना पर भरोसा है। इसका अर्थ है ब्लॉग की अभी साख नहीं बन पायी है। ब्लॉग की साख बने इसके लिए जरूरी है कि ब्लॉग लेखक आत्मानुशासन से काम लें और अपनी अंतर्वस्तु में सुधार लाएं।
       'चाइना इंटरनेट नेटवर्क इनफोरमेशन सेंटर' के द्वारा 7 सितम्बर 2007 को प्रकाशित किए गए सर्वे में बताया गया है कि ग्रामीण इंटरनेट यूजरों की संख्या 37 मिलियन का आंकड़ा पार कर गयी है। ज्यादातर ग्रामीण यूजर मनोरंजन कार्यक्रमों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहर और गांव के बीच में डिजिटल भेद अभी भी बरकरार है। गांवों में 37.41 मिलियन इंटरनेट यूजर हैं। जबकि गांवों में 737 मिलियन घर हैं। इनकी तुलना में इंटरनेट यूजरों की संख्या मात्र 5.1 फीसदी घरों तक ही है। इसी तरह चीन में 125 मिलियन शहरी इंटरनेट यूजर हैं। शहरी आबादी की तुलना में यह 21.6 फीसदी पहुँच को दरशाता है। विगत साल की तुलना में यह अंतराल घटा है। सन् 2006 में चीन के गांवों में 23.1 मिलियन इंटरनेट यूजर थे और मात्र 3.1 फीसदी घरों तक ही इंटरनेट पहुँचा था। सन् 2006 में गांवों में 100 घरों के पास मात्र 2.7 कम्प्यूटर थे। जबकि शहरों में प्रति 100 घरों में 47.2 कम्प्यूटर थे।  

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